ऐसी बात नहीं है कि हिन्दू शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सावरकर जी ने किया। उनसे पूर्व कई बार इस शब्द का प्रयोग किया जा चुका है, परन्तु उन्होंने हिन्दू शब्द का विस्तार किया। सर्वविदित है कि विश्व की समस्त सभ्यताएं नदियों किनारे फली-फूली हैं। ठीक उसी प्रकार जम्बू-द्वीप की सनातनी सभ्यता सिंधु नदी के किनारे सिंधु घाटी की सभ्यता है। यही तथ्य उपर्युक्त श्लोक में भी कहा गया। उनका मानना है कि सिन्धु घाटी की सभ्यता में जितना भी समाज पल्लवित-पुष्पित हुआ है, वे सभी हिन्दू हैं। आज पूजा-पद्धति से हिन्दू को जोड़ा जाता है और उस समय भी जोड़ा जाता रहा है। समाज को जोड़ने के लिए वीर सावरकर जी ने हिन्दू शब्द के अर्थ के वास्तविक स्वरूप को विस्तार दिया।