About the Book
"यात्रा" कोई यात्रा वृतान्त नहीं बल्कि प्रेम की स्मृतियों की यात्रा है। जीवन के अलग-अलग आयामों में प्रेम के अलग-अलग रंग बिखेरती यात्रा। पहला प्यार, पहली आकांक्षाएँ एवं पहली मित्रता का खूबसूरत एहसास है। यह अपनों का साथ है एवं उत्तरदायित्वों एवं स्वपनों की स्पर्धा है। "यात्रा" मन के उन अनकहे प्रश्नों को कहने का, एवं उन शर्तों को स्वीकारने का साहस है जिसे एक साधारण इंसान स्वीकारने से पूर्व, सवालों में उलझ जाता है। यह सत्य की स्वीकारोक्ति है। यात्रा आनंद है।
About the Author
रवि मिश्रा को बचपन से ही किताबों से लगाव रहा है। उन्होंने अपनी पहली कविता वर्ग आठ में लिखी थी। उसके बाद ये अपनी भावनाओं को लेखन के माध्यम से प्रस्तुत करने लगे। उनकी पहली कविता और कहानी विद्यालय पत्रिका 'परिमल' में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद 2016 में दैनिक भास्कर में दो कविताएँ "माँ जैसे हो रजनीगंधा" और 'दर्मियां' प्रकाशित हुई। ये आजकल प्रतिलिपि से जुड़े हुए हैं। इन्होंने वाणिज्य में स्नातकोत्तर किया है और वर्तमान में उत्क्रमित मध्य विद्यालय रतवारा चंदन, सरैया, मुजफ्फरपुर में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। इन्हें लोगों से सीखना पसंद है और आसपास के लोग ही इनकी रचनì